निश्चय
आज बहुत मैं थक गया हूँ,
शरीर भी पीडा दे रहा है,
क्यों न रूक कर अज रात सो लूं.
पर कल क्या देर हो जायेगी,
क्या फिर से कोशिश बेकार जायेगी,
वैसे भी मेरा पहले वहाँ पहुँचना शायद संभव नही,
मुझे तेज़ चलने वाले बहुत है इस दौड़ मैं.
जब सब साथ चले थे,
सोचा था कि इस बार मैं सबसे तेज़ भागूँगा,
पर मैं इस बार भी इतना धीमे क्यों भागा,
मन मैं निश्चय किया था,
कि ये अख्रिरी कोशिश होगी,
क्योंकि ये कोशिश और सबकी कोशिश से,
थोरी सी ज्यादा प्रबल होगी,
हाँ ये तो सही है कि ये कोशिश,
पिछली कोशिशों से प्रबल है ,
अभी मैं काफी लोगों से आगे हूँ,
कुछ ही है जो मुझसे आगे दौड़ रहे हैं,
नही मैं अज नही सोओंगा,
जो निश्चय किया था,
उसे पूरा करना है,
अपने आपसे किए वादे को,
इस बार निभाना ही है..
यदि मैं अपने अर्तर्मन से,
किए हुए वादे को निभा पाया,
मैं संतुष्ट हो जाऊँगा,
अन्दर से भी और बाहर से भी,
अब मुझे पीडा का एहसास नही,
चेहरे पे कोई शिकन नही,
क्योंकि निश्चय किया है मैंने,
एक भार्प्पूर कोश्सिः का..
शायद सबसे पहले न पहुंच पों,
पर निश्चय ही पहले पहुँचने वालों मैं मैं भी होऊंगा.
Monday, October 29, 2007
Tuesday, October 16, 2007
दिल चाहता है
दिल चाहता है कि,
रात भर टिमटिमाते तारों को एक टाक देखू,
कभी ये कमबख्त पलकें धोखा दे जाती है,
और कभी मुझे नींद आ जाती है…
दिल चाहता है कि,
कि मैं कभी दौड़ कर तितली को पकड़ लूं,
रात मैं जुगनू के पीछे भागूं,
पर कभी वो उड़ जाते है,
और कभी मुझे उन्हें स्वतंत्र उड़ता देख कर ही सुख कि अनुभूति होती है.
दिल चाहता है कि,
हर कोई मुस्कराये,
दुनिया मैं हर कोई खुश रहना सीख जाये,
पर कभी मैं उन्हें समझा नही पाता,
और कभी खुद भी उदास हो जाता हूँ.
दिल चाहता है कि,
कि लोगों के दिल मैं प्यार ही प्यार भर दूं,
उन्हें सिखला दूं कि प्यार से ही मानवता बढ़ सकी है,
एक दूसरे से नफरत से, इस धारा को रक्त रंजित करके,
केवल दुःख ही बढ़ सकता है,
पर कभी वो नही सुनते,
और कभी मेरी गुहार उन तक नही पहुंचती.
दिल चाहता है कि,
हर चीज को दिल लगा कर करूं,
पर कभी दिल खुद नही लगता,
और कभी मैं दिल को नही लगाता.
दिल चाहता है कि,
अज उससे कह दूं कि वोई मेरी जिन्दगी है,
पर कभी वो नही मिलते,
और कभी उनकी ना से डर लगता है.
दिल चाहता है कि,
हर पल को कैद कर लूं,
हर बार ये पल निकल जता है हाथ से,
कभी दे जता है ये पूरानी यादें,
और कभी दे जता है ये दिल को एक नयी चाहत.
दिल चाहता है कि,
रात भर टिमटिमाते तारों को एक टाक देखू,
कभी ये कमबख्त पलकें धोखा दे जाती है,
और कभी मुझे नींद आ जाती है…
दिल चाहता है कि,
कि मैं कभी दौड़ कर तितली को पकड़ लूं,
रात मैं जुगनू के पीछे भागूं,
पर कभी वो उड़ जाते है,
और कभी मुझे उन्हें स्वतंत्र उड़ता देख कर ही सुख कि अनुभूति होती है.
दिल चाहता है कि,
हर कोई मुस्कराये,
दुनिया मैं हर कोई खुश रहना सीख जाये,
पर कभी मैं उन्हें समझा नही पाता,
और कभी खुद भी उदास हो जाता हूँ.
दिल चाहता है कि,
कि लोगों के दिल मैं प्यार ही प्यार भर दूं,
उन्हें सिखला दूं कि प्यार से ही मानवता बढ़ सकी है,
एक दूसरे से नफरत से, इस धारा को रक्त रंजित करके,
केवल दुःख ही बढ़ सकता है,
पर कभी वो नही सुनते,
और कभी मेरी गुहार उन तक नही पहुंचती.
दिल चाहता है कि,
हर चीज को दिल लगा कर करूं,
पर कभी दिल खुद नही लगता,
और कभी मैं दिल को नही लगाता.
दिल चाहता है कि,
अज उससे कह दूं कि वोई मेरी जिन्दगी है,
पर कभी वो नही मिलते,
और कभी उनकी ना से डर लगता है.
दिल चाहता है कि,
हर पल को कैद कर लूं,
हर बार ये पल निकल जता है हाथ से,
कभी दे जता है ये पूरानी यादें,
और कभी दे जता है ये दिल को एक नयी चाहत.
Subscribe to:
Posts (Atom)